या हरी-हरी सी माया

या हरी-हरी सी माया,या घणी-घणी सी छाया खूब करी भगवान तनै,जब यो पेड़ बनाया या हरी-हरी सी माया सुण रै भाई! सुण रै भाई,मैं सूं पेड़,मेरी थी या काया पर निरभाग माणस नै,कोन्या मैं सुहाया धन-दौलत,जाति-जमीन,सब-कुछ यो बाँटै ईब हो गया इतना जुल्मी,मन्नै भी यो काटै रै न्यूं तो बता ! रै न्यूं तो बता दे बैरी,तन्नै मैं के सेधूं सूं जो भी कुछ है मेरे धोरै,सब कुछ तन्नै दे द्यूं सूं फेर भी तन्नै ना मान्या,कदै भी एहसान मेरा अपने स्वार्थ के चक्कर मैं,रोज करै नुकसान मेरा मैं तो खतम हो जाऊंगा,कर भी ले तू ध्यान तेरा मेरे तै घणा यो,होवै सै नुकसान तेरा रै सोच जरा मेरे बिना,क्युकर तू जी पावैगा सब कुछ तनै मैं देऊं,के पीवै अर खावैगा मेरे बिना तू,के साँस भी ले पावैगा बिन हवा,बिन पाणी तड़प-तड़प मर जावैगा मनै ना परवाह मेरी,ना कोए भी गम सै पर मैं तनै अपणा मानूं,ज्याँतै आँख नम सै दुख मनै इस बात का सै,मैं तनै छोड़ जाऊँगा तनै मैं अपणाया नहीं,इस बात पै पछताऊँगा या तेरी तरक्की,तेरी हार हो ज्यागी जब तक तू समझैगा,वार हो ज्यागी मैं सूँ सच्चा दोस्त तेरा,सदा साथ निभाऊँगा मर भी गया ...